व्याख्या हे देव! आप विश्व को प्रकट कर उसमें क्रीडा करते हुए अनादि सत् तत्त्व स्वरूप हो, सम्पूर्ण रोगों को द्रवित करने के कारण रूद्र कहलाते हैं, और उस स्व-शक्ति के सामरस्य से ‘पामल’ बन कर संसार के सम्मुख जाते हैं, जैसा कि शास्त्रों में कहा गया है- अष्टविग्रहाच्छान्ताच्छिवात्परमकारणात् । https://www.youtube.com/shorts/0vLISs2kzMI
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